Navratri Kalash Sthapana Muhurat || नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त || Navratri Ghatasthapana Muhurat

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नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त 2020 || Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2020

यह तो आप सब जानते हो की नवरात्र साल में 2 बार आते है ! एक तो चैत्र शुक्ल के और दुसरे आश्विन शुक्ल के शारदीय नवरात्र ! नवरात्र का पर्व पुरे नो दिन मनाया जाता है इन दिनों श्री दुर्गा माँ के नो रूपों की पूजा होती है ! इसी नवदुर्गा और नो दिन की पूजा के कारन इससे नवरात्र कहा जाता है यदि जो कोई भी व्यक्ति नो दिनों तक सच्चे मन से श्री दुर्गा माँ उपासना करता है उसके सारे विघ्न का नाश होता है और सारे कष्ट दूर हो जाते है ! नवरात्र के नौ दिन प्रात:, मध्याह्न और संध्या के समय भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। श्रद्धानुसार अष्टमी या नवमी के दिन हवन और कुमारी पूजा कर भगवती को प्रसन्न करना चाहिए ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त || Navratri Kalash Sthapana Muhurat को पढ़कर आप भी शुभ मुहूर्त में नवरात्रि का स्थापना करके माँ दुर्गा जी को खुश कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Navratri Kalash Sthapana Muhurat By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त 2020 || Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2020

चैत्र नवरात्रि कब है २०२० || Chaitra Navratri Kab Hai 2020

इस साल चैत्र नवरात्रि मार्च महीने की 25 तारीख, वार बुधवार से शुरू होकर 2 अप्रैल, वार गुरुवार को समाप्त होगें !

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चैत्र नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त २०२० || Chaitra Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2020

इस बार चैत्र मास के नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि रात्रि 05:27 बजे तक रहेगी ! इसलिए आप द्विस्वभाव लग्न प्रातः 06:29 से 07:26 तक के श्रेष्ठ मुहूर्त में Navratri Kalash Sthapana कर सकते हो !

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चैत्र नवरात्र कलश स्थापना चोघडिया मुहूर्त २०२० || Chaitra Navratri Kalash Sthapana Choghadiya Muhurat 2020

सुबह 06:29 से दोपहर 09:31 बजे तक, ( लाभ-अमृत चोघडिया में )

दोपहर 11:02 से 12:33 तक ( शुभ चोघडिया में )

दोपहर 03:35 से 06:37 तक ( चर-लाभ मुहूर्त में )

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चैत्र नवरात्र कलश स्थापना तिथियां || Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vrat Dates :

7 अक्टूबर 2021, वार गुरुवार नवरात्र की प्रथम तिथि को देवी के शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है !

प्रथम दिन इन्हें फूल की भेंट देना शुभ होता है। साथ में कोई एक श्रृंगार सामग्री अवश्य दें। अगर आप मां सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते है तो श्वेत फूल अर्पित करें। अगर आपके दिल में कोई भौतिक कामना है तो लाल पुष्प देकर इन्हें खुश करें। (उदाहरण के लिए : गुलाब, चंपा, मोगरा, गेंदा, गुड़हल)

8 अक्टूबर 2021, वार शुक्रवार नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है !

दूसरे दिन फल देकर इनका पूजन करें। यह फल भी सांसारिक कामना के लिए लाल अथवा पीला और वैराग्य की प्राप्ति के लिए केला या श्रीफल हो सकता है। याद रखें कि फल खट्टे ना हो।

9 अक्टूबर 2021, वार शनिवार नवरात्र की तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है !

तीसरे दिन मिठाई का महत्व होता है। इस दिन अगर हाथ की बनी खीर, हलवा या केशरिया चावल बना कर खिलाए जाएं तो देवी प्रसन्न होती है।

9 अक्टूबर 2021, वार शनिवार नवरात्र की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा रूप की उपासना की जाती है !

चौथे दिन इन्हें वस्त्र देने का महत्व है लेकिन सामर्थ्य अनुसार रूमाल या रंगबिरंगे रीबन दिए जा सकते हैं।

10 अक्टूबर 2021, वार रविवार नवरात्र की पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है !

पांचवे दिन देवी से सौभाग्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना की जाती है। अत: कन्याओं को पांच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना अत्यंत शुभ होता है। इनमें बिंदिया, चूड़ी, मेहंदी, बालों के लिए क्लिप्स, सुगंधित साबुन, काजल, नेलपॉलिश, टैल्कम पावडर इत्यादि हो सकते हैं।

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11 अक्टूबर 2021, वार सोमवार नवरात्र की शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है !

छठे दिन बच्चियों को खेल-सामग्री देना चाहिए। आजकल बाजार में खेल सामग्री की अनेक वैरायटी उपलब्ध है। पहले यह रिवाज पांचे, रस्सी और छोटे-मोटे खिलौनों तक सीमित था। अब तो ढेर सारे विकल्प मौजूद है।

12 अक्टूबर 2021, वार मंगलवार नवरात्र की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है !

सातवां दिन मां सरस्वती के आह्वान का होता है। अत: इस दिन कन्याओं को शिक्षण सामग्री दी जानी चाहिए। आजकल स्टेशनरी बाजार में विभिन्न प्रकार के पेन, स्केच पेन, पेंसिल, कॉपी, ड्रॉईंग बुक्स, कंपास, वाटर बॉटल, कलर बॉक्स, लंच बॉक्स उपलब्ध है।

13 अक्टूबर 2021, वार बुधवार नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां महागौरी रूप की पूजा की जाती है। इस दिन बहुत से लोग कन्या पूजन भी कर देते है !

आठवां दिन नवरात्रि का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन अगर कन्या का अपने हाथों से श्रृंगार किया जाए तो देवी विशेष आशीर्वाद देती है। इस दिन कन्या के दूध से पैर पूजने चाहिए। पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इस दिन कन्या को भोजन कराना चाहिए और यथासामर्थ्य कोई भी भेंट देनी चाहिए। हर दिन कन्या-पूजन में दक्षिणा अवश्य दें।

14 अक्टूबर 2021, वार गुरुवार नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री रूप की पूजा की जाती है ! सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान और पूजा पूर्ण हो जाती है ! इस दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता हैं !

नौवें दिन खीर, ग्वारफली और दूध में गूंथी पूरियां कन्या को खिलानी चाहिए। उसके पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा संपूर्ण होती है। अगर आपने घर पर हवन का अयोजन किया है तो उसके नन्हे हाथों से उसमें समिधा अवश्य डलवाएं। उसे इलायची और पान का सेवन कराएं।

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नवरात्र पूजा से जुड़ी कुछ विशेष बात :

१. यदि श्रद्धालु नवरात्र में प्रतिदिन पूजा नही कर सकता है तो अष्टमी वाले दिन विशेष पूजा करके वह सभी फल प्राप्त कर सकता है !

२. यदि श्रद्धालु पूरे नवरात्र में उपवास ना कर सके तो तीन दिन उपवास करने भी सभी फल प्राप्त कर सकता है जिनमे नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी व् नवमी का व्रत करते हैं ! शास्त्रों के अनुसार यह भी मान्य है !

३. नवरात्र व्रत पूर्ण रूप से देवी पूजन, हवन, कुमारी पूजन और ब्राह्मण भोजन से ही पूरा होता है !

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इस नवरात्र माँ श्री दुर्गा का किससे होगा आगमन :

रविवार व सोमवार को हाथी से

शनिवार व मंगलवार को घोड़ा से

गुरुवार व शुक्रवार को पालकी से

बुधवार को नौका आगमन से

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इस नवरात्र माँ श्री दुर्गा का किससे होगा प्रस्थान :

रविवार व सोमवार भैंसा से

शनिवार और मंगलवार को सिंह से

बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी से

गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान

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