श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम् ( Sri Garuda Dhwaja Stotram ) Garuda Dhwaja Stotram

श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम् [ Sri Garuda Dhwaja Stotram & Garuda Dhwaja Stotram ]

श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम के फ़ायदे : sri garuda dhwaja stotram ke fayde in hindi : हिंदू धर्म के अनुसार गरुड़ पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं । गरुड़ कश्यप ऋषि और उनकी दूसरी पत्नी विनता की सन्तान हैं । श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से साधक भयमुक्त व् शक्तिशाली के साथ साथ उसके जीवन की बहुत सी समस्या का समाधान हो जाता हैं ! श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम, sri garuda dhwaja stotram in hindi, garuda dhwaja stotra in hindi, श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्र, गरुड़ ध्वज स्तोत्रम, श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम के फ़ायदे, sri garuda dhwaja stotram ke fayde in hindi, श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम के लाभ, sri garuda dhwaja stotram ke labh in hindi, sri garuda dhwaja stotram benefits in hindi, sri garuda dhwaja stotram in mantra, sri garuda dhwaja stotram mp3 download, sri garuda dhwaja stotram pdf in hindi, sri garuda dhwaja stotram in sanskrit, sri garuda dhwaja stotram lyrics in hindi, sri garuda dhwaja stotram in telugu, sri garuda dhwaja stotram in kannada, sri garuda dhwaja stotram in tamilआदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 7821878500 sri garuda dhwaja stotram by acharya pandit lalit sharma

श्री गरुड़ ध्वज स्तोत्रम !! sri garuda dhwaja stotram in hindi

ध्रुवकृता भगवत्स्तुतिः

॥ गरूडध्वजस्तोत्रम् अथवा ध्रुवकृता भगवत्स्तुतिः ॥

ध्रुव उवाच

योऽन्तः प्रविश्य मम वाचमिमां प्रसुप्तां संजीयत्यखिलशक्तिधरः स्वधाम्ना ।

अन्यांश्च हस्तचरणश्रवणत्वगादीन्- प्राणान्नमो भगवते पुरूषाय तुभ्यम् ॥ १॥

एकस्त्वमेव भगवन्निदमात्मशक्त्या मायाख्ययोरूगुणया महदाद्यशेषम् ।

सृष्ट्वाऽनुविश्य पुरुषस्तदसद्गुणेषु नानेव दारूषु विभावसुवद्विभासि ॥ २॥

त्वद्दत्तया वयुनयेदमचष्ट विश्वं सुप्तप्रबुद्ध इव नाथ भवत्प्रपन्नः ।

तस्यापवर्ग्यशरणं तव पादमूलं विस्मर्यते कृतविदा कथमार्तबन्धो ॥ ३॥

नूनं विमुष्टमतयस्तव मायया ते ये त्वां भवाप्ययविमोक्षणमन्यहेतोः ।

अर्चन्ति कल्पकतरूं कुणपोपभोग्य- मिच्छन्ति यत्स्पर्शजं निरयेऽपि नॄणाम् ॥ ४॥

या निर्वृतिस्तनुभूतां तव पादपद्म- ध्यानाद्भवज्जनकथाश्रवणेन वा स्यात् ।

सा ब्रह्मणि स्वमहिमन्यपि नाथ मा भूत् किन्त्वन्तकासिलुलितात् पततां विमानात् ॥ ५॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

भक्तिं मूहुः प्रवहतां त्वयि मे प्रसङ्गो भूयादनन्त महताममलाशयानाम् ।

येनाञ्जसोल्बणमुरूव्यसनं भवाब्धिं नेष्ये भवद्गुणकथामृतपानमत्तः ॥ ६॥

ते न स्मरन्त्यतितरां प्रियमीशमर्त्यं ये चान्वदः सुतसुहृद्गृहवित्तदाराः ।

ये त्वब्जनाभ भवदीयपदारविन्द- सौगंध्यलुब्धहृदयेषु कृतप्रसङ्गाः ॥ ७॥

तिर्यङ्मगद्विजसरीसृपदेवदैत्य- मर्त्यादिभिः परिचितं सदसद्विशेषम् ।

रूपम् स्थविष्ठमज ते महदाद्यनेकं नातःपरं परम वेद्मि न यत्र वादः ॥ ८॥

कल्पान्त एतदखिलं जठरेण गृह्वन् शेते पुमान् स्वदृगनन्तसखस्तदङ्के ।

यन्नाभिसिन्धुरूहकाञ्चनलोकपद्म- गर्भे द्युमान् भगवते प्रणतोऽस्मि तस्मै ॥ ९॥

त्वं नित्यमुक्तपरिशुद्धविशुद्ध आत्मा कूटस्थ आदिपुरूषो भगवांस्त्र्यधीशः ।

यद्बुद्ध्यवस्थितिमखण्डितया स्वदृष्ट्या द्रष्टा स्थितावधिमखो व्यातिरिक्त आस्से ॥ १०॥

यस्मिन् विरूद्धगतयो ह्यनिशं पतन्ति विद्यादयो विविधशक्तय आनुपूर्व्यात् ।

तद्भह्म विश्वभवमेकमनन्तमाद्यम- अनन्दमात्रमविकारमहं प्रपद्ये ॥ ११॥

सत्याशिषो हि भगवंस्तव पादपद्म- माशीस्तथाऽनुभजतः पुरुषार्थमूर्तेः ।

अप्येवमार्य भगवान् परिपाति दीनान् वाश्रेव वत्सकमनुग्रहकातरोऽस्मान् ॥ १२॥

मैत्रेय उवाच अथाभिष्टुत एवं वै सत्सङ्कल्पेन धीमता ।

भृत्यानुरक्तो भगवान् प्रतिनन्द्येदमब्रवीत् ॥ १३॥

श्रीभगवानुवाच

वेदाहं ते व्यवसितं हृदि राजन्यबालक ।

तत्प्रयच्छामि भद्रं ते दुरापमपि सुव्रत ॥ १४॥

नान्यैरधिष्ठितं भद्र यद्भ्राजिष्णु ध्रुवक्षिति ।

यत्र ग्रहर्क्षताराणां ज्योतिषां चक्रमाहितम् ॥ १५॥

मेढ्यां गोचक्रवत्स्थास्नु परस्तात् कल्पवासिनाम् ।

धर्मोऽग्निः कश्यपः शुक्रो मुनयो ये वनौकसः ॥

चरन्ति दक्षिणोकृत्य भ्रमन्तो यत्सतारकाः ॥ १६॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

प्रस्थिते तु वनं पित्रा दत्त्वा गां धर्मसंश्रयः ।

षत्त्रिंशद्वर्षसाहस्रं रक्षिताऽव्याहतेन्द्रियः ॥ १७॥

त्वद्भ्रातर्युत्तमे नष्टे मृगयायां तु तन्मनाः ।

अन्वेषन्ती वनं माता दावाग्निं सा प्रवेक्षय्ति ॥ १८॥

इष्ट्वा मां यज्ञहृदयं यज्ञैः पुष्कलदक्षिणैः ।

भुक्त्वा चेहाशिषः सत्या अन्ते मां संस्मरिष्यसि ॥ १९॥

ततो गंतासि मत्स्थानं सर्वलोकनमस्कृतम् ।

उपरिष्ठादृषिभ्यस्त्वं यतो नावर्तते गतः ॥ २०॥

मैत्रेय उवाच

इत्यर्चितः स भगवानतिदिश्यात्मनः पदम् ।

बालस्य पश्यतो धाम स्वमगाद्गरुडध्वजः ॥ २१॥

। इति श्रीगरुडध्वजस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : 7821878500

<<< पिछला पेज पढ़ें अगला पेज पढ़ें >>>

जन्मकुंडली सम्बन्धित, ज्योतिष सम्बन्धित व् वास्तु सम्बन्धित समस्या के लिए कॉल करें Mobile & Whats app Number : 7821878500

किसी भी तरह का यंत्र या रत्न प्राप्ति के लिए कॉल करें Mobile & Whats app Number : 7821878500

बिना फोड़ फोड़ के अपने मकान व् व्यापार स्थल का वास्तु कराने के लिए कॉल करें Mobile & Whats app Number :7821878500


नोट : ज्योतिष सम्बन्धित व् वास्तु सम्बन्धित समस्या से परेशान हो तो ज्योतिष आचार्य पंडित ललित शर्मा पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 7821878500 ( Paid Services )

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : 7821878500

ऑनलाइन पूजा पाठ ( Online Puja Path ) व् वैदिक मंत्र ( Vaidik Mantra ) का जाप कराने के लिए संपर्क करें Mobile & Whats app Number : 7821878500

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

You cannot copy content of this page