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राधा अष्टमी व्रत कब हैं २०२१ || Radha Ashtmi Vrat Kab Hai 2021
इस साल 2021 में राधा अष्टमी सितम्बर महीने की 14 तारीख़ वार मंगलवार के दिन बनाई जायेगी ।
राधा अष्टमी कथा || Radha Ashtami Katha || Radha Ashtami Vrat Katha
राधा वृषभानु गोप की संतान थी उनकी माता का नाम कीर्ति था। पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की संतान बताया गया। जब राजा यज्ञ के लिए भूमि की सफाई कर रहे थे तब भूमि से कन्या के रुप में राधा मिली थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया।
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एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु कृष्ण अवतार में जन्म लिया था तब उनके अन्य सदस्य भी पृथ्वी पर जन्म लिया था। विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी। ऐसी मान्यता है कि राधाजी अपने जन्म के समय ही वयस्क हो गई थी। राधाजी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका माना जाता है। Radha Ashtami Katha
राधा अष्टमी व्रत कथा || Radha Ashtami Katha || Radha Ashtami Vrat Katha
राधा का पृथ्वी पर आना एक सामान्य घटना नहीं है। गोलोक में रहने वाली राधा को एक शाप के कारण पृथ्वी पर आकर कृष्ण का वियोग सहना पड़ा। इस संदर्भ में ब्रह्मवैवर्त पुराण में एक कथा आई है। एक बार राधा गोलोक से कहीं बाहर गयी थी उस समय श्री कृष्ण अपनी विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। संयोगवश राधा वहां आ गई। विरजा के साथ कृष्ण को देखकर राधा क्रोधित हो गईं और कृष्ण एवं विरजा को भला बुरा कहने लगी। लज्जावश विरजा नदी बनकर बहन लगी। Radha Ashtami Katha
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कृष्ण के प्रति राधा के क्रोधपूर्ण शब्दों को सुनकर कृष्ण का मित्र सुदामा आवेश में आ गया। सुदामा कृष्ण का पक्ष लेते हुए राधा से आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगा। सुदामा के इस व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गई।
राधा ने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का शाप दे दिया। क्रोध में भरे हुए सुदामा ने भी हित अहित का विचार किए बिना राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया। राधा के शाप से सुदामा शंखचूर नाम का दानव बना जिसका वध भगवान शिव ने किया। सुदामा के शाप के कारण राधा को मनुष्य रूप में जन्म लेकर धरती पर आना पड़ा। Radha Ashtami Katha
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