पापांकुशा एकादशी व्रत कथा ( Papankusha Ekadashi Vrat Katha ) Papankusha Gyaras

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा || Papankusha Ekadashi Vrat Katha || Papankusha Ekadashi Vrat Kahani

Papankusha Ekadashi Vrat आश्विनमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती हैं. यानी आती हैं. पापांकुशा एकादशी व्रत करने से मनुष्य सब पापों से छूट जाते हैं और सब प्रकार के भोगों को भोगकर बैकुंठ को प्राप्त होते हैं। Papankusha Ekadashi Vratकरनेसे मृत्यु के पश्चात जातक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

Related Post :

एकादशी के उपाय || Ekadashi Ke Upay

राशि अनुसार एकादशी के उपाय || Rashi Anusar Ekadashi Ke Upay

एकादशी व्रत पूजा विधि || Ekadashi Vrat Puja Vidhi

एकादशी व्रत उद्यापन की विधि || Ekadashi Vrat Udyapan Ki Vidhi

एकादशी की आरती || Ekadashi Ki Aarti

पापांकुशा एकादशी व्रत कब हैं ? : Papankusha Ekadashi VratKab Hai 2018 :

Papankusha Ekadashi Vrat को अक्टूबर महीने की 20 तारीख़, वार शनिवार के दिन बनाई जायेगीं !

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा || Papankusha Ekadashi Vrat Katha

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

एक बार युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि “आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या महत्त्व है और इस अवसर पर किसकी पूजा होती है एवं इस व्रत का क्या लाभ है?” युधिष्ठिर की मधुर वाणी को सुनकर गुणातीत श्रीकृष्ण भगवान बोले- “आश्विन शुक्ल एकादशी ‘पापांकुशा’ के नाम से जानी जाती है। नाम से ही स्पष्ट है कि यह पाप का निरोध करती है अर्थात उनसे रक्षा करती है। इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को अर्थ, मोक्ष और काम इन तीनों की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति यह व्रत करता है, उसके सारे संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन व्रती को सुबह स्नान करके विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए और उनके नाम से व्रत और पूजन करना चाहिए। व्रती को रात्रि में जागरण करना चाहिए। जो भक्ति पूर्वक इस व्रत का पालन करते हैं, उनका जीवन सुखमय होता है और वह भोगों मे लिप्त नहीं होता। श्रीकृष्ण कहते हैं, जो इस पापांकुशा एकदशी का व्रत रखते हैं, वे भक्त कमल के समान होते हैं जो संसार रूपी माया के भवर में भी पाप से अछूते रहते हैं। कलिकाल में जो भक्त इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें वही पुण्य प्राप्त होता है, जो सतयुग में कठोर तपस्या करने वाले ऋषियों को मिलता था। इस एकादशी व्रत का जो व्यक्ति शास्त्रोक्त विधि से अनुष्ठान करते हैं, वे न केवल अपने लिए पुण्य संचय करते हैं, बल्कि उनके पुण्य से मातृगण व पितृगण भी पाप मुक्त हो जाते हैं (Papankusha Ekadashi Vrat Katha)। इस एकादशी का व्रत करके व्रती को द्वादशी के दिन श्रेष्ठ ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें दान देना चाहिए।

पापांकुशा एकादशी का महत्त्व || Papankusha Ekadashi Vrat Mahtav

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा तथा ब्राह्मणों को उत्तम दान व दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन केवल फलाहार ही लिया जाता है। इससे शरीर स्वस्थ व हलका रहता है। इस एकादशी के व्रत रहने से भगवान समस्त पापों को नष्ट कर देते हैं। अर्थात यह एकादशी पापों का नाश करने वाली कही गई है। जनहितकारी निर्माण कार्य प्रारम्भ करने के लिए यह एक उत्तम मुहूर्त है। इस दिन व्रत करने वाले को भूमि, गौ, जल, अन्न, छत्र, उपानह आदि का दान करना चाहिए।

<<< पिछला पेज पढ़ें अगला पेज पढ़ें >>>


नोट : ज्योतिष सम्बन्धित व् वास्तु सम्बन्धित समस्या से परेशान हो तो ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 7821878500 ( Paid Services )

Related Post :

एकादशी के उपाय || Ekadashi Ke Upay

राशि अनुसार एकादशी के उपाय || Rashi Anusar Ekadashi Ke Upay

एकादशी व्रत पूजा विधि || Ekadashi Vrat Puja Vidhi

एकादशी व्रत उद्यापन की विधि || Ekadashi Vrat Udyapan Ki Vidhi

एकादशी की आरती || Ekadashi Ki Aarti

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

You cannot copy content of this page