मंगल प्रदोष व्रत की विधि ( Mangal Pradosh Vrat Vidhi ) Mangal Pradosh Vrat Udyapan Vidhi

मंगल प्रदोष व्रत की विधि [ Mangal Pradosh Vrat Vidhi & Mangal Pradosh Vrat Udyapan Vidhi ]

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मंगल प्रदोष व्रत की विधि !! mangal pradosh vrat vidhi in hindi

मंगल प्रदोष पूजा सामग्री : mangal pradosh puja samagri in hindi

जल से भरा हुआ कलश, सफेद पुष्प और पुष्पों की माला, धूपबत्ती, घी का दीपक, सफेद वस्त्र, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, कपूर, बेल-पत्र, धतुरा, भांग, हवन सामग्री ( आम की लकड़ी ) !

मंगल प्रदोष व्रत पूजा विधि : mangal pradosh vrat puja vidhi in hindi

भौम (मंगल) प्रदोष व्रत के दिन जातक को प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो स्नान कर शुद्ध कपडे पहनकर भगवान श्री शिव जी का पूजन करना चाहिये । पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय ” का जप करें। पूरे दिन निराहार रहें। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिये। भौम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है।

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व्रती को चाहिये की शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें । पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें। यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें। “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें। इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिव जी का ध्यान करें।

ध्यान का स्वरूप- करोड़ों चंद्रमा के समान कांतिवान, त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चंद्रमा का आभूषण धारण करने वाले पिंगलवर्ण के जटाजूटधारी, नीले कण्ठ तथा अनेक रुद्राक्ष मालाओं से सुशोभित, वरदहस्त, त्रिशूलधारी, नागों के कुण्डल पहने, व्याघ्र चर्म धारण किये हुए, रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान शिव जी हमारे सारे कष्टों को दूर कर सुख समृद्धि प्रदान करें।

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ध्यान के बाद, मंगल त्रयोदशी प्रदोष व्रत कथा सुने अथवा सुनायें। कथा समाप्ति के बाद हवन सामग्री मिलाकर 11 या 21 या 108 बार “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा ” मंत्र से आहुति दें । उसके बाद शिव जी की आरती करें। उपस्थित जनों को आरती दें। सभी को प्रसाद वितरित करें । उसके बाद भोजन करें । भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का उपयोग करें।

मंगल प्रदोष व्रत उद्यापन विधि : mangal pradosh vrat udyapan vidhi in hindi

स्कंद पुराण के अनुसार व्रती को कम-से-कम 11 अथवा 26 त्रयोदशी व्रत के बाद उद्यापन करना चाहिये। उद्यापन के एक दिन पहले ( यानी द्वादशी तिथि को) श्री गणेश भगवान का विधिवत षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा पूरी रात शिव-पार्वती और श्री गणेश जी के भजनों के साथ जागरण करें। उद्यापन के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रमों से निवृत हो जायें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। पूजा स्थल पर रंगीन वस्त्रों और रंगोली से मंडप बनायें । मण्डप में एक चौकी अथवा पटरे पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। भोग लगायें। मंगल त्रयोदशी प्रदोष व्रत कथा सुने अथवा सुनायें।

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अब हवन के लिये सवा किलो (1.25 किलोग्राम) आम की लकड़ी को हवन कुंड में सजायें। हवन के लिये गाय के दूध में खीर बनायें। हवन कुंड का पूजन करें । दोनों हाथ जोड़कर हवन कुण्ड को प्रणाम करें। अब अग्नि प्रज्वलित करें। तदंतर शिव-पार्वती के उद्देश्य से खीर से ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 बार आहुति दें। हवन पूर्ण होने के पश्चात् शिव जी की आरती करें । ब्राह्मणों को सामर्थ्यानुसार दान दें एवं भोजन करायें। आप अपने इच्छानुसार एक या दो या पाँच ब्राह्मणों को भोजन एवं दान करा सकते हैं। यदि भोजन कराना सम्भव ना हो तो किसी मंदिर में यथाशक्ति दान करें। इसके बाद बंधु बांधवों सहित प्रसाद ग्रहण करें एवं भोजन करें।

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इस प्रकार उद्यापन करने से व्रती पुत्र-पौत्रादि से युक्त होता है तथा आरोग्य लाभ होता है। इसके अतिरिक्त वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है एवं सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर शिवधाम को पाता है ।

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