इन्द्राक्षी स्त्रोत || Indrakshi Stotram || Indrakshi Stotra

इन्द्राक्षी स्त्रोत, Indrakshi Stotram, Indrakshi Stotra, इन्द्राक्षी स्त्रोत के फायदे, Indrakshi Stotram Ke Fayde, इन्द्राक्षी स्त्रोत के लाभ, Indrakshi Stotram Ke Labh, Indrakshi Stotram Benefits, Indrakshi Stotram in Sanskrit, Indrakshi Stotram in Hindi, Indrakshi Stotram Pdf, Indrakshi Stotram Mp3 Download, Indrakshi Stotram Lyrics, Indrakshi Stotram in Telugu, Indrakshi Stotram in Tamil, Indrakshi Stotram in Mantra, Indrakshi Stotram in Kannada.

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number :+91-9667189678

नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

हर महीनें का राशिफल, व्रत, ज्योतिष उपाय, वास्तु जानकारी, मंत्र, तंत्र, साधना, पूजा पाठ विधि, पंचांग, मुहूर्त व योग आदि की जानकारी के लिए अभी हमारे Youtube Channel Pandit Lalit Trivedi को Subscribers करना नहीं भूलें, क्लिक करके अभी Subscribers करें : Click Here

इन्द्राक्षी स्त्रोत || Indrakshi Stotram || Indrakshi Stotra

इन्द्राक्षी स्त्रोत श्री इन्द्राक्षी देवी जी को समर्पित हैं ! इन्द्राक्षी स्त्रोत का नियमित पाठ करने से जातक के जीवन के असाध्यरोग जैसे लकवा, कैंसर या HIV का नाश करने वाला और सर्व सिद्धि देने वाला है । यदि ब्राह्मणों द्वारा अनुष्ठान कऱाने पर सामान रूप से शुभफल प्रदाता है । इन्द्राक्षी स्त्रोतआदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Indrakshi Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

इन्द्राक्षी स्त्रोत || Indrakshi Stotram || Indrakshi Stotra

श्री गणेशाय नमः ।

पूर्वन्यासः

अस्य श्री इन्द्राक्षीस्तोत्रमहामन्त्रस्य,

शचीपुरन्दर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,

इन्द्राक्षी दुर्गा देवता, लक्ष्मीर्बीजं,

भुवनेश्वरीति शक्तिः, भवानीति कीलकम् ,

इन्द्राक्षीप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

करन्यासः

ॐ इन्द्राक्षीत्यङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।

ॐ महालक्ष्मीति तर्जनीभ्यां नमः ।

ॐ माहेश्वरीति मध्यमाभ्यां नमः ।

ॐ अम्बुजाक्षीत्यनामिकाभ्यां नमः ।

ॐ कात्यायनीति कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।

ॐ कौमारीति करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

अङ्गन्यासः

ॐ इन्द्राक्षीति हृदयाय नमः ।

ॐ महालक्ष्मीति शिरसे स्वाहा ।

ॐ माहेश्वरीति शिखायै वषट् ।

ॐ अम्बुजाक्षीति कवचाय हुम् ।

ॐ कात्यायनीति नेत्रत्रयाय वौषट् ।

ॐ कौमारीति अस्त्राय फट् ।

ॐ भूर्भुवः स्वरोम् इति दिग्बन्धः ॥

ध्यानम्-

नेत्राणां दशभिश्शतैः परिवृतामत्युग्रचर्माम्बरां

हेमाभां महतीं विलम्बितशिखामामुक्तकेशान्विताम् ।

घण्टामण्डित-पादपद्मयुगलां नागेन्द्र-कुम्भस्तनीम्

इन्द्राक्षीं परिचिन्तयामि मनसा कल्पोक्तसिद्धिप्रदाम् ॥

इन्द्राक्षीं द्विभुजां देवीं पीतवस्त्रद्वयान्विताम् ।

वामहस्ते वज्रधरां दक्षिणेन वरप्रदाम् ॥

इन्द्राक्षीं सहस्रयुवतीं नानालङ्कार-भूषिताम् ।

प्रसन्नवदनाम्भोजामप्सरोगण-सेविताम् ॥

द्विभुजां सौम्यवदनां पाशाङ्कुशधरां पराम् ।

त्रैलोक्यमोहिनीं देवीमिन्द्राक्षीनामकीर्तिताम् ॥

पीताम्बरां वज्रधरैकहस्तां नानाविधालङ्करणां प्रसन्नाम् ।

त्वामप्सरस्सेवित-पादपद्मामिन्द्राक्षि वन्दे शिवधर्मपत्नीम् ॥

इन्द्रादिभिः सुरैर्वन्द्यां वन्दे शङ्करवल्लभाम् ।

एवं ध्यात्वा महादेवीं जपेत् सर्वार्थसिद्धये ॥

लं पृथिव्यात्मने गन्धं समर्पयामि ।

हं आकाशात्मने पुष्पैः पूजयामि ।

यं वाय्वात्मने धूपमाघ्रापयामि ।

रं अग्न्यात्मने दीपं दर्शयामि ।

वं अमृतात्मने अमृतं महानैवेद्यं निवेदयामि ।

सं सर्वात्मने सर्वोपचार-पूजां समर्पयामि ।

वज्रिणी पूर्वतः पातु चाग्नेय्यां परमेश्वरी ।

दण्डिनी दक्षिणे पातु नैरॄत्यां पातु खड्गिनी ॥ १॥

पश्चिमे पाशधारी च ध्वजस्था वायु-दिङ्मुखे ।

कौमोदकी तथोदीच्यां पात्वैशान्यां महेश्वरी ॥ २॥

उर्ध्वदेशे पद्मिनी मामधस्तात् पातु वैष्णवी ।

एवं दश-दिशो रक्षेत् सर्वदा भुवनेश्वरी ॥ ३॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

इन्द्र उवाच ।

इन्द्राक्षी नाम सा देवी दैवतैः समुदाहृता ।

गौरी शाकम्भरी देवी दुर्गा नाम्नीति विश्रुता ॥ ४॥

नित्यानन्दा निराहारा निष्कलायै नमोऽस्तु ते ।

कात्यायनी महादेवी चन्द्रघण्टा महातपाः ॥ ५॥

सावित्री सा च गायत्री ब्रह्माणी ब्रह्मवादिनी ।

नारायणी भद्रकाली रुद्राणी कृष्णपिङ्गला ॥ ६॥

अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी ।

मेघस्वना सहस्राक्षी विकटाङ्गी जडोदरी ॥ ७॥

महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ।

अजिता भद्रदानन्ता रोगहर्त्री शिवप्रदा ॥ ८॥

शिवदूती कराली च प्रत्यक्ष-परमेश्वरी ।

इन्द्राणी इन्द्ररूपा च इन्द्रशक्तिः परायणा ॥ ९॥

सदा सम्मोहिनी देवी सुन्दरी भुवनेश्वरी ।

एकाक्षरी परब्रह्मस्थूलसूक्ष्म-प्रवर्धिनी ॥ १०॥

रक्षाकरी रक्तदन्ता रक्तमाल्याम्बरा परा ।

महिषासुर-हन्त्री च चामुण्डा खड्गधारिणी ॥ ११॥

वाराही नारसिंही च भीमा भैरवनादिनी ।

श्रुतिः स्मृतिर्धृतिर्मेधा विद्या लक्ष्मीः सरस्वती ॥ १२॥

अनन्ता विजयापर्णा मानस्तोकापराजिता ।

भवानी पार्वती दुर्गा हैमवत्यम्बिका शिवा ॥ १३॥

शिवा भवानी रुद्राणी शङ्करार्ध-शरीरिणी ।

ऐरावतगजारूढा वज्रहस्ता वरप्रदा ॥ १४॥

नित्या सकल-कल्याणी सर्वैश्वर्य-प्रदायिनी ।

दाक्षायणी पद्महस्ता भारती सर्वमङ्गला ॥ १५॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

कल्याणी जननी दुर्गा सर्वदुर्गविनाशिनी ।

इन्द्राक्षी सर्वभूतेशी सर्वरूपा मनोन्मनी ॥ १६॥

महिषमस्तक-नृत्य-विनोदन-स्फुटरणन्मणि-नूपुर-पादुका ।

जनन-रक्षण-मोक्षविधायिनी जयतु शुम्भ-निशुम्भ-निषूदिनी ॥ १७॥

सर्वमङ्गल-माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ-साधिके ।

शरण्ये त्र्यम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥ १८॥

ॐ ह्रीं श्रीं इन्द्राक्ष्यै नमः। ॐ नमो भगवति, इन्द्राक्षि,

सर्वजन-सम्मोहिनि, कालरात्रि, नारसिंहि, सर्वशत्रुसंहारिणि ।

अनले, अभये, अजिते, अपराजिते,

महासिंहवाहिनि, महिषासुरमर्दिनि ।

हन हन, मर्दय मर्दय, मारय मारय, शोषय शोषय,

दाहय दाहय, महाग्रहान् संहर संहर ॥ १९॥

यक्षग्रह-राक्षसग्रह-स्कन्धग्रह-विनायकग्रह-बालग्रह-कुमारग्रह-

भूतग्रह-प्रेतग्रह-पिशाचग्रहादीन् मर्दय मर्दय ॥ २०॥

भूतज्वर-प्रेतज्वर-पिशाचज्वरान् संहर संहर ।

धूमभूतान् सन्द्रावय सन्द्रावय ।

शिरश्शूल-कटिशूलाङ्गशूल-पार्श्वशूल- पाण्डुरोगादीन् संहर संहर ॥ २१॥

य-र-ल-व-श-ष-स-ह, सर्वग्रहान् तापय तापय,

संहर संहर, छेदय छेदय ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् स्वाहा ॥ २२॥

गुह्यात्-गुह्य-गोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् ।

सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादान्मयि स्थिरा ॥ २३॥

फलश्रुतिः नारायण उवाच ॥

एवं नामवरैर्देवी स्तुता शक्रेण धीमता ।

आयुरारोग्यमैश्वर्यमपमृत्यु-भयापहम् ॥ १॥

वरं प्रादान्महेन्द्राय देवराज्यं च शाश्वतम् ।

इन्द्रस्तोत्रमिदं पुण्यं महदैश्वर्य-कारणम् ॥ २ ॥

क्षयापस्मार-कुष्ठादि-तापज्वर-निवारणम् ।

चोर-व्याघ्र-भयारिष्ठ-वैष्णव-ज्वर-वारणम् ॥ ३॥

माहेश्वरमहामारी-सर्वज्वर-निवारणम् ।

शीत-पैत्तक-वातादि-सर्वरोग-निवारणम् ॥ ४॥

शतमावर्तयेद्यस्तु मुच्यते व्याधिबन्धनात् ।

आवर्तन-सहस्रात्तु लभते वाञ्छितं फलम् ॥ ५॥

राजानं च समाप्नोति इन्द्राक्षीं नात्र संशय ।

नाभिमात्रे जले स्थित्वा सहस्रपरिसंख्यया ॥ ६॥

जपेत् स्तोत्रमिदं मन्त्रं वाचासिद्धिर्भवेद्ध्रुवम् ।

सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासैः सिद्धिरुच्यते ॥ ७॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

संवत्सरमुपाश्रित्य सर्वकामार्थसिद्धये ।

अनेन विधिना भक्त्या मन्त्रसिद्धिः प्रजायते ॥ ८॥

सन्तुष्टा च भवेद्देवी प्रत्यक्षा सम्प्रजायते ।

अष्टम्यां च चतुर्दश्यामिदं स्तोत्रं पठेन्नरः ॥ ९॥

धावतस्तस्य नश्यन्ति विघ्नसंख्या न संशयः ।

कारागृहे यदा बद्धो मध्यरात्रे तदा जपेत् ॥ १०॥

दिवसत्रयमात्रेण मुच्यते नात्र संशयः ।

सकामो जपते स्तोत्रं मन्त्रपूजाविचारतः ॥ ११॥

पञ्चाधिकैर्दशादित्यैरियं सिद्धिस्तु जायते ।

रक्तपुष्पै रक्तवस्त्रै रक्तचन्दनचर्चितैः ॥ १२॥

धूपदीपैश्च नैवेद्यैः प्रसन्ना भगवती भवेत् ।

एवं सम्पूज्य इन्द्राक्षीमिन्द्रेण परमात्मना ॥ १३॥

वरं लब्धं दितेः पुत्रा भगवत्याः प्रसादतः ।

एतत् स्त्रोत्रं महापुण्यं जप्यमायुष्यवर्धनम् ॥ १४॥

ज्वरातिसार-रोगाणामपमृत्योर्हराय च ।

द्विजैर्नित्यमिदं जप्यं भाग्यारोग्यमभीप्सुभिः ॥ १५॥

॥ इति इन्द्राक्षी-स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number :+91-9667189678

<<< पिछला पेज पढ़ें अगला पेज पढ़ें >>>


यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

यह पोस्ट आपको कैसी लगी Star Rating दे कर हमें जरुर बताये साथ में कमेंट करके अपनी राय जरुर लिखें धन्यवाद : Click Here

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

You cannot copy content of this page