श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् || Sri Mahishasura Mardini Stotram

श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्, Sri Mahishasura Mardini Stotram, श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् के फायदे, Sri Mahishasura Mardini Stotram Ke Fayde, श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् के लाभ, Sri Mahishasura Mardini Stotram Ke Labh, Sri Mahishasura Mardini Stotram Benefits, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Sanskrit, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Hindi, Sri Mahishasura Mardini Stotram Pdf, Sri Mahishasura Mardini Stotram Mp3 Download, Sri Mahishasura Mardini Stotram Lyrics, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Telugu, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Tamil, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Mantra, Sri Mahishasura Mardini Stotram in Kannada.

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number :+91-9667189678

नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

हर महीनें का राशिफल, व्रत, ज्योतिष उपाय, वास्तु जानकारी, मंत्र, तंत्र, साधना, पूजा पाठ विधि, पंचांग, मुहूर्त व योग आदि की जानकारी के लिए अभी हमारे Youtube Channel Pandit Lalit Trivedi को Subscribers करना नहीं भूलें, क्लिक करके अभी Subscribers करें : Click Here

श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् || Sri Mahishasura Mardini Stotram

श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् की रचियता ऋषि आदि शंकराचार्य द्वारा लिखी गई हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् का पाठ करने से शक्ति को पसन्द किया जाता हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् का पाठ करने से श्री माँ दुर्गा की आराधना की जाती हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् का पाठ विश्वास करने से जातक के सारे दुःख व् परेशानियाँ दूर हो जाती हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि में श्री दुर्गा माँ की पूजा करने में किया जाता हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् का पाठ करने से तीनों शक्तियां माँ श्री दुर्गा, श्री लक्ष्मी और माँ श्री सरस्वती देवी की आराधना की जाती हैं ! श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें :9667189678 Sri Mahishasura Mardini Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् || Sri Mahishasura Mardini Stotram

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।

शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।

धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

जय जय जप्य जये जय शब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे ।

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥

क्या आप सरकारी नौकरी चाहते हो तो यहाँ क्लिक करें: Click Here

सभी सरकारी योजना की जानकारी या लाभ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें: Click Here

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।

सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते । जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम् भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम् जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number :+91-9667189678

<<< पिछला पेज पढ़ें अगला पेज पढ़ें >>>


यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

यह पोस्ट आपको कैसी लगी Star Rating दे कर हमें जरुर बताये साथ में कमेंट करके अपनी राय जरुर लिखें धन्यवाद : Click Here

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

You cannot copy content of this page