हरतालिका तीज व्रत कैसे करें [ Hartalika Teej Vrat Kaise Karen ] :
भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की तृतीय तिथि के दिन हरतालिका तीज ( Hartalika Teej ) बनाई जाती है ! यह उपवास विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं करती है ! जो भी कुंवारी लड़की श्रेष्ठ व् उत्तम पति की चाहा रखती है वो भी इस उपवास को करती है !
हरतालिका तीज महत्व :
हरतालिका तीज का इसलिए ज्यादा महत्व हो जाता है क्युकी माँ पार्वती जी ने भगवान शिव शंकर जी से शादी करने केये इस व्रत व् उपवास को किया था ! इसलिए जो भी कुंवारी कन्या उत्तम पति की चाहा रखती है वह इस व्रत को करने से उन्हें उत्तम पति की प्राप्ति होती है ! इसलिए इस व्रत व् उपवास को कुंवारी कन्या आस्था व् विश्वास के साथ करती है !
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हरतालिका तीज ही क्यों नाम हुआ ?
बहुत से व्यक्तिओं के दिमाग में यह बात आती है की इस व्रत का नाम हरतालिका तीज ( Hartalika Teej ) ही क्यों रखा गया ! माता गौरी पार्वती जी ने भगवान शिव जी को पति रूप में चाहने के लिए कठोर साधना व् तपस्या की थी उसी समय ही माता पार्वती जी की कुछ सखीयों ने उन्हें अगवा करके ले गई ! और हरतालिका का अर्थ हरत मतलब अगवा करना व् आलिका सखी होता है ! इसलिए इस कारन से इस उपवास का नाम हरतालिका तीज कहा जाता है !
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हरतालिका तीज पूजन विधि :
इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान् शिव जी व् माँ पार्वती जी की मिटटी की मूर्ति बनाकर पूजा करती है ! इस दिन सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज की पहले व्रत कथा सुनती है ! हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनते समय महिलाएं तेरह ( 13 ) मिठाई और साड़ी व् ब्लाउज और दक्षिणा बायना के लिए एक अलग थाली में रख लें ! उसके बाद में भगवन शिव जी अंगोछा और माँ पार्वती जी को साड़ी चढ़ाती है ! धुप व् दीप जलाकर भगवान् शिव व् माँ पार्वती जी की आरती करती है ! माँ पार्वती जी को सारा सुहाग का सामान और तेरह ( 13 ) मिठाई चढ़ाती है ! कहानी सुनने के बाद पल्ले से थाली को ढक कर चार बार थाली पर हाथ फ़ेरना चाहिए ! फिर उसके बाद अपने सास के पैर या किसी अन्य बुजुर्ग महिलाएं के पाँव छू कर बायना दक्षिणा सहित दे देना चाहिए !हरतालिका तीज को रात भर जागरण किया जाता है व् रात जगाई जाती है !
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हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त :
सूर्य उदय से 07:42 बजे तक !
दोपहर 12:29 से दोपहर 03:41 तक !
शाम 05:16 से सूर्य अस्त तक !
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