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अजा एकादशी व्रत कथा || Aja Ekadashi Vrat Katha || Aja Ekadashi Vrat Kahani
Aja Ekadashi Vrat भाद्रपदमास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती हैं. यानी आती हैं. अजा एकादशी व्रत करने से जातक केपूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं. और इस जन्म में सुख-समृद्घि की प्राप्ति होती है. Aja Ekadashi Vratकरनेसे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. और मृत्यु के पश्चात जातक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
अजा एकादशी व्रत कब हैं ? २०१९ ||Aja Ekadashi VratKab Hai 2019
अजा एकादशी व्रत ( ajaekadashi vrat katha) को अगस्त महीने की 26 तारीख़, वार सोमवार के दिन बनाई जायेगीं !
अजा एकादशी व्रत कथा || Aja Ekadashi Vrat Katha || Aja Ekadashi Vrat Kahani
भगवान श्री राम के वंश में हरिश्चन्द्र नाम के एक राजा हुए थे। राजा अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए प्रसिद्घ थे। एक बार देवताओं ने इनकी परीक्षा लेने की योजना बनाई। राजा ने स्वप्न में देखा कि ऋषि विश्ववामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है। सुबह विश्वामित्र वास्तव में उनके द्वार पर आकर कहने लगे तुमने स्वप्न में मुझे अपना राज्य दान कर दिया।
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राजा ने सत्यनिष्ठ व्रत का पालन करते हुए संपूर्ण राज्य विश्वामित्र को सौंप दिया। दान के लिए दक्षिणा चुकाने हेतु राजा हरिश्चन्द्र को पूर्व जन्म के कर्म फल के कारण पत्नी, बेटा एवं खुद को बेचना पड़ा। हरिश्चन्द्र को एक डोम ने खरीद लिया जो श्मशान भूमि में लोगों के दाह संस्कारा का काम करवाता था।
डोम ने राजा हरिश्चन्द्र को श्मशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम दे दिया। इसके बावजूद सत्यनिष्ठा से राजा विचलित नहीं हुए। एक दिन भाग्यवश गौतम मुनि से इनकी भेंट हुई। गौतम मुनि ने राजा से कहा कि हे राजन पूर्व जन्म के कर्मों के कारण आपको यह कष्टमय दिन देखना पड़ रहा है।
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आप भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसका नाम अजा एकादशी है उस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करें और रात्रि में जागरण करते हुए भगवान का ध्यान कीजिए आपको कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऋषि के बताए नियम के अनुसार अजा एकादशी का व्रत किया।
इसी दिन इनके पुत्र को एक सांप ने काट लिया और मरे हुए पुत्र को लेकर इनकी पत्नी श्मशान में दाह संस्कार के लिए आई। राजा हरिश्चन्द्र ने सत्यधर्म का पालन करते हुए पत्नी से भी पुत्र के दाह संस्कार हेतु कर मांगा। इनकी पत्नी के पास कर चुकाने के लिए धन नहीं था इसलिए उसने अपनी सारी का आधा हिस्सा फाड़कर राजा का दे दिया।
राजा ने जैसे ही सारी का टुकड़ा अपने हाथ में लिया आसमान से फूलों की वर्षा होने लगी। देवगण राजा हरिश्चन्द्र की जयजयकार करने लगे। इन्द्र ने कहा कि हे राजन् आप सत्यनिष्ठ व्रत की परीक्षा में सफल हुए। आप अपना राज्य स्वीकार कीजिए।
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अजा एकादशी व्रत कथा का पुण्य ||Aja Ekadashi VratKatha Ka Punya
पुराणों में बताया गया है कि अजा एकादशी व्रत करने से जातक के पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं. और इस जन्म में सुख-समृद्घि की प्राप्ति होती है. Aja Ekadashi Vratकरनेसे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. और मृत्यु के पश्चात जातक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
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