पवित्रा एकादशी व्रत कथा || Pavitra Ekadashi Vrat Katha || Pavitra Ekadashi Vrat Kahani

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पवित्रा एकादशी व्रत कथा || Pavitra Ekadashi Vrat Katha || Pavitra Ekadashi Vrat Kahani

पवित्रा एकादशी ( pavitra ekadashi ) सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती हैं ! यानी आती हैं ! जिन जातकों को संतान होने में बाधाएं आती है या हो रही हो अथवा जो जातक पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए पवित्र एकादशी का व्रत करना बहुत ही शुभफलदायक होता है. इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करना विशेष लाभदायक होता हैं ! जो मनुष्य इस व्रत के महात्म्य को सुनता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है !

पवित्रा एकादशी कब हैं २०१९|| Pavitra Ekadashi Kab Hai 2019

पवित्रा एकादशी (pavitraekadashi ) को अगस्त महीने की 11 तारीख़, वार रविवार के दिन बनाई जायेगीं !

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पवित्रा एकादशी व्रत कथा || Pavitra Ekadashi Vrat Katha || Pavitra Ekadashi Vrat Kahani

प्राचीन काल में एक नगर में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे. राज के कोई संतान नहीं थी इस बात को लेकर वह सदैव चिन्ताग्रस्त रहते थे. एक दिन राजा सुकेतुमान वन की ओर चल दिए. वन में चलते हुए वह अत्यन्त घने वन में चले गए. वन में चलते-चलते राजा को बहुत प्यास लगने लगी. वह जल की तलाश में वन में और अंदर की ओर चले गए जहाँ उन्हें एक सरोवर दिखाई दिया. राजा ने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी बने हुए है और बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे हैं.

राजा ने सभी मुनियों को बारी-बारी से सादर प्रणाम किया. ऋषियों ने राजा को आशीर्वाद दिया, राजा ने ऋषियों से उनके एकत्रित होने का कारण पूछा. मुनि ने कहा कि वह विश्वेदेव हैं और सरोवर के निकट स्नान के लिए आये हैं. आज से पाँचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है. जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है.

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राजा ने यह सुनते ही कहा हे विश्वेदेवगण यदि आप सभी मुझ पर प्रसन्न हैं तब आप मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दें. मुनि बोले हे राजन आज पुत्रदा एकादशी का व्रत है. आप आज इस व्रत को रखें और भगवान नारायण की आराधना करें. राजा ने मुनि के कहे अनुसार विधिवत तरीके से पवित्र एकादशी का व्रत रखा और अनुष्ठान किया. व्रत के शुभ फलों द्वारा राजा को संतान की प्राप्ति हुई. इस प्रकार जो व्यक्ति इस व्रत को रखते हैं उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. संतान होने में यदि बाधाएं आती हैं तो इस व्रत के रखने से वह दूर हो जाती हैं. जो मनुष्य इस व्रत के महात्म्य को सुनता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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